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पश्याताप – एक लघु कथा : 1984 ka November

सन्न चौरासी का दौर था ,बाज़ार गर्म हुआ की महिला प्रधान मंत्री की हत्या उनके अंग रक्षक ने कर दी है .दंगाईयों को कोई दींन ईमान तो होता नहीं है, लूट पाट ,जोर जबरदस्ती ही उनका धर्म है .देखते देखते दंगो ने आग पकड़ ली.बदले के नाम पे मासूम परिवारों का कत्ले आम ,लूट पाट शुरू हो गया .सड़क पे निकलना दूभर था ,जो इंसान था उसका दिल पसीज उठता और हैवान के लिए तमाशा चारो और था…….. पढना जारी रखे

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