पलाश के फूल

पतझड़ बसंत के मौसम में,
आसाँ नहीं पलाश फूल होना.

पल में आस्मां का सितारा,

पल में ज़मीं में धूल होना.

पत्तों को अलविदा कहते

शाखों का ठूँठ का होना !

बरस हर बरस बहार बन,

पाइयों तले मसल मरना।

गुलिस्ताँ का काँटों का होना,

आसाँ नहीं पलाश फूल होना!
गुलिस्ताँ का हो, उसका न होना,
आसाँ नहीं पलाश फूल होना!

~गायत्री 
२१०३२०१८

#WorldPoetryDay

About Gee

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