कुछ तो हो जो ख़ास हो
मुझमे भी कोई बात हो
दिलो को जो लुभा सके
ऐसा कोई अंदाज़ हो
यही चाहता है हर कोई
की दो मुट्ठी आसमा
हो इस जहाँ में ऐसा भी
जिस पर उसका राज़ हो
हो ऐसा इक आशियाँ कहीं
छत्त एक , कुछ दीवार हो
जो मेरी बाते समझ सके
जिन्हें मेरा इंतज़ार हो
मुझ में भी कोई बात हो
कुछ तो हो जो ख़ास हो
की जाऊं जब जहां से मैं
कुछ अश्को के नमक से
भीगे मेरे सर ताज हो ……..
दिलो को जो लुभा सके
कोई ऐसा अंदाज़ हो …
कुछ तो हो जो ख़ास हो.
bahut achcha likhti hain aap. God bless u !
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bahut sundar likhti ho aap. kahani to behad achchi hai aur poems bhi. keep it up. God bless u
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