तुम नही हो
सन्नाटा है बस
और है परछाइयां
उदासी की …
वीरान दीवारों पर
यादो के साए
बसते हैं
तनहा -तनहा से …..
तुम आओ तो
अमावस में भी
दूज का चाँद
उग आएगा……
तुम आओ तो
हरियाली से
बूटा बूटा
खिल जायेगा …
तुम आओ तो
मन आँगन की
कलि फूल
बन जायेगी ……
बुझती साँसों की
कड़ी टूटती कही
कही थम जायेगी …..
तुम आओ तो
मौत से जुड़ता
रिश्ता टूट जायेगा ….
आने से बस एक तुम्हारे
उस बूढी माँ का बढता कैंसर
तन मन को कम सताएगा
आने से बस एक तुम्हारे
शायद काल कही रुक जायेगा …
माँ कहती है
मेरा बेटा
मेरे जीवन की
हर खोयी खुशी लौटाएगा ……
aap sab ka bahut bahut shukriya
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माँ कहती है
मेरा बेटा
मेरे जीवन की
हर खोयी खुशी लौटाएगा ……
भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.
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sachmuch bahut samvedansheel kavita…
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मन छू लेने वाली रचना!
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तुम आओ तो
हरियाली से
बूटा बूटा
खिल जायेगा …
बहुत अच्छी पंक्तियां। सुंदर।
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आने से बस एक तुम्हारे
उस बूढी माँ का बढता कैंसर
तन मन को कम सताएगा
आने से बस एक तुम्हारे
शायद काल कही रुक जायेगा …
माँ कहती है
मेरा बेटा
मेरे जीवन की
हर खोयी खुशी लौटाएगा ……
सीधा दिल में उतरी है ये पंक्तिया…….
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Bahut sundar.
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बहुत बढिया.
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
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बहुत करुण कविता है।
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
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hridyasparshi. badhai aapko achhi post aur swatantrata divas ki
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