त्रिवेणी

शीरा जुबान पे खंजर कमान में
मुखौटे हसीं पर चेहरे बईमान से

केकड़े है रेत के चलना संभाल के

About Gee

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13 Responses to त्रिवेणी

  1. गायत्री कहते हैं:

    thank you

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  2. bhoothnath(नहीं भाई राजीव थेपडा) कहते हैं:

    केकड़े है रेत के चलना संभाल के…………….phir se kah doon….bahut acche….!!

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  3. अखिलेश शुक्ल कहते हैं:

    like reading rivew
    http://katha-chakra.blogspot.com

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  4. saraswatlok कहते हैं:

    बहुत ही उम्दा बात कही है आपने। आपकी इसी बात पर एक शेर याद आ गया किसी ने कहा है कि

    कांटों से गुजर जाना, शोलों से निकल जाना
    फूलों की बस्ती में जाना तो संभलकर जाना

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  5. bhoothnath(नहीं भाई राजीव थेपडा) कहते हैं:

    मनवा बेईमान है….छिपके भी उनियान है…
    इन्द्रियाँ हमारी ये चोरों की खानदान है…
    जख्म छिपे कैसे कि फटी हुई बनियान है !!
    …..सॉरी हमारी तो चतुर्वेनी है ये….!!बुरा ना माने गणतंत्र दिवस है……!!

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  6. बवाल कहते हैं:

    कभी गंगा, जमुना, सरस्वती को एक लहजे में कह कर देखिए शायद त्रिवेणी में और भी ख़ूबसूरत धाराएँ बह चलें।

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  7. सुप्रतिम बनर्जी कहते हैं:

    बहुत अच्छे।

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  8. महेंद्र मिश्रा कहते हैं:

    बड़ी गहरी त्रिवेणी है

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  9. Radical Essence कहते हैं:

    वाह, क्या बात है। ज़िंदगी की बदकिस्मत सच्चाई यही है। बहुत सुंदरता से केवल दो पंक्तियों में व्यक्त कर दी आप ने।

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  10. Udan Tashtari कहते हैं:

    बेहतरीन रही त्रिवेणी..बहुत गहरी उतरी.

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  11. गायत्री कहते हैं:

    मोहन जी, त्रिवेणी समझने के लिए शुक्रिया। पहला विचार हमारा भी “में “का था , शेर होता तो में चलता ,पर ये है त्रिवेणी। सरस्वती का रुख्ह गंगा और जमना से अलग होना चाहिए । इस्सलिये केकड़े है रेत के का इस्तेमाल है। जिस तरह से आप खूबसूरत मुखतो के पीछे बदसूरत चेहरों की बात करते है , मीठी जुबान वालो को कातिल करार करते हैं, वैसे ही रेत पर आप चलते हीपैरो को ठंडक देने के लिए । पर अगर रेत ही कांटे कि हैं(केकड़े ) तो पाऊँ का क्या हाल होगा।

    आशा हे, खीर में चाशनी थोडी घुल गई होगी .

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  12. मोहन वशिष्‍ठ कहते हैं:

    शीरा जुबान पे खंजर कमान में
    मुखौटे हसीं पर चेहरे बईमान से

    केकड़े है रेत के चलना संभाल के

    वाह जी वाह ये आखिर की लाईन में केकडे हैं रेत में होना चाहिए था क्‍या या के ही पढा जाए जरा इस बात से प्‍लीज अवगत करा देना क्‍योंकि इस के और में के चक्‍कर में ऐसा लगा कि मेवों से मिश्रित खीर में कुछ थोडा मीठा कम लगा

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  13. विनय कहते हैं:

    बहुत गहरी कड़ियाँ हैं इस त्रिवेणी में

    —आपका हार्दिक स्वागत है
    गुलाबी कोंपलें

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