शब्दो की सखी
यहां पर हैं कुछ किस्से , कहानी , कविता, यात्रा गाथा .....कुछ आप बीती कुछ जग बीती....
यायावर सरीखी....मेरी पहचान ....
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शब्दो की सखी
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Author Archives: Gee
माँ
कभी सोचा है माँ के काँधे कितने दुखते होंगे, नित नयी जिम्मेदारियों के तले और थोड़ा झुकते होंगे। कितनी उम्मीदें, आशाएं, उपेक्षाएं बाजुओं को खोंचती होंगी, वो दिन में मुसकुराती माँ, रात भर नींद में सिसकती होगी। छू के … पढना जारी रखे
कविता में प्रकाशित किया गया
2 टिप्पणियाँ
गुज़रा साल और तुम
तेरे आज और कल के दरमियान,
एक सदी गुज़र गयी एक साल मे. पढना जारी रखे
नीम
थोड़ी कड़वा हो रही हूँ। शायद नीम हो गयी हूँ ! पढना जारी रखे
कविता में प्रकाशित किया गया
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जन्माष्टमी के दिन
जन्माष्टमी के दिन नवशिशु कान्हा को दूध से नहलाते हैं, नये वस्त्र पहनाकर सोलह श्रंृगार किये नयी राधा रानी के संग झूले पर सजाते हैं । झांकियाँ निकलती हैं, ढोल मंजीरों के बीच कान्हा कान्हा की हूंकार से गुज़र हर … पढना जारी रखे
कविता में प्रकाशित किया गया
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दो दशक
हम मिले ज़िन्दगी के उस मोड़ पर फिर से,
जहाँ तुम उतने ही साधारण थे जितनी की मैं ,
एक मार्गदर्शक, एक हमसफ़र के चेहरों से छुपे,
अपने आगे अपनो के सुख दुःख को जीते हुए। पढना जारी रखे